गरीबी
गरीबी जीवन का अभिशाप,
न जाने किस ज़न्म का पाप ।
ठण्ड से ठिठुरते गात,
काटते हैं खुले आसमान के नीचे रात।
कैसे मिटे उनकी भूख और प्यास,
हैं वे हर तरफ़ से निराश।
कोई करे उनके लिए प्रयास,
ताकि पूरी हो जाए उनकी आस ।
गरीबी जीवन का अभिशाप,
न जाने किस ज़न्म का पाप ।
ठण्ड से ठिठुरते गात,
काटते हैं खुले आसमान के नीचे रात।
कैसे मिटे उनकी भूख और प्यास,
हैं वे हर तरफ़ से निराश।
कोई करे उनके लिए प्रयास,
ताकि पूरी हो जाए उनकी आस ।
0 comments:
Post a Comment