Monday, October 27, 2008

गरीबी

गरीबी
गरीबी जीवन का अभिशाप,
न जाने किस ज़न्म का पाप ।
ठण्ड से ठिठुरते गात,
काटते हैं खुले आसमान के नीचे रात।

कैसे मिटे उनकी भूख और प्यास,
हैं वे हर तरफ़ से निराश।
कोई करे उनके लिए प्रयास,
ताकि पूरी हो जाए उनकी आस ।

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